संवाददाता (बस्ती)। दिव्य प्रेम सेवा मिशन के सेवा कार्यो को समर्पित श्री रामकथा के चौथे दिन एपीएन पीजी कालेज परिसर में व्यास पीठ से आचार्य शान्तनु महाराज ने श्री रामकथा का रसपान कराते हुये कहा कि श्रीराम का विवाह भक्ति का भगवान से मिलन है।
महात्मा जी विश्वामित्र जी के साथ भगवान राम और लक्ष्मण जनकपुर में प्रवेश से लेकर विवाह तक के प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया। कहा कि जनकपुर क्या है जनकपुरी विशेष प्रकार का नगर है जिसमें साक्षात भक्ति महारानी बैठी और भगवान भक्ति को प्राप्त करने के लिए जा रहे हैं इसलिए जब भी जीवन में भक्ति अध्यात्म की यात्रा करनी हो तो गुरु का सानिध्य में चाहिए।
महात्मा जी ने कहा कि भगवान राम और लक्ष्मण जनकपुर भ्रमण के लिए गुरु की आज्ञा से चले और इनके इस रूप को देखकर पूरे जनकपुर में शोर हो गया। भगवान ने सब को दर्शन देकर आनंदित किया। पुष्प वाटिका के श्रृंगारिक प्रसंग को सुनाते हुए महाराज जी ने कहा पुष्पवाटिका वह स्थल है जहां पर भगवान और भक्ति का पहली बार मिलन हुआ। जिनको भी भगवान का दर्शन करना है उनको बाग में आना ही पड़ेगा और बाग मानस में संतों की सभा को कहा है ।
महाराज जी ने कहा कि भगवान और जानकी जी दोनों की अवस्था किशोरावस्था है और यह अवस्था जीवन की सबसे महत्वपूर्ण और सबसे खतरनाक होता है इसलिए यह अवस्था सुधरे सही रहे इसके लिए बालकों को गुरु पूजा एवं बालिकाओं को गौरी पूजा करना चाहिए । गुरु यानी क्या गुरु यानी शुभ मर्यादा आज्ञाकारिता आदि ऐसे गुणवाचक शब्द जो भी हैं और गौरी गुणों की खान। वह पत्थर की प्रतिमा नहीं अपितु गौरी रानी गरिमा महिमा वात्सल्य करूणा दया की प्रतिमूर्ति है।
महात्मा जी ने कहा रंगभूमि जब भगवान का प्रवेश हुआ तो सभी राजा अपनी अपनी भावना के अनुसार भगवान का दर्शन करने लगे। धनुष यज्ञ के प्रसंग में महाराज जी ने कहा बहुत सारे राजाओं ने धनुष को तोड़ने का प्रयत्न किया लेकिन किसी से नहीं टूटा क्योंकि यह सभी अहंकार से ग्रस्त थे और भगवान ने धनुष को क्षण भर में भी तोड़ दिए क्योंकि धनुष अहंकार का प्रतीक होता है। भगवान के द्वारा धनुष टूटते ही सारे जग में शोर हो गया खुशियां मनाई जाने लगी और धनुष टूटने के साथ ही भगवान का विवाह पूर्ण हो गया लक्ष्मण परशुराम संवाद को भी महाराज जी ने सुनाया अयोध्या से बारात आई और भगवान का सुंदर विवाह महाराज जनक के आंगन में हुआ । भगवान और भक्ति का मिलन हो गया और सखियों ने मंगल गीत गाकर बधाई दी । महाराज जी ने जानकी जी के विदाई के प्रसंग में कहा कि बेटियां ही घर की लक्ष्मी होती है जब बेटी विदा होती है कठोर से कठोर दिल का बाप भी रो पड़ता है क्यों क्योंकि बाप और बेटी का रिश्ता संसार में सबसे पवित्र है बाप बेटी से ही अपने मन की बात तथा बेटी बाप से ही अपने मन की बात करती है।
दिव्य प्रेम सेवा मिशन के सेवा प्रकल्पों को समर्पित श्री राम कथा आयोजन समिति के संयोजक अभय पाल ने मिशन के द्वरा किये जा रहे समाज के सहयोग से सेवा कार्यो के बारे में बताया।
मुख्य यजमान इंद्रावती सिंह ओमप्रकाश सिंह , ने विधिवत व्यास पीठ का पूजन अर्चन किया । मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक सुभाष ,विधायक सीए चन्द्र प्रकाश शुक्ल, दिनेश चंद्र श्रीवास्तव, यशकांत सिंह ,श्रद्धेय पाल, जंग बहादुर सिंह राज कुमार शुक्ला, श्री निवास, काशी ,पंडित सरोज मिश्र,नंद किशोर साहू, कुलवेंद्र सिंह मजहबी, संध्या दीक्षित ,सुनील गुप्ता ,अवधेश सिंह, हर्षित सिंह, आशुतोष सिंह,सिद्धार्थ श्रीवास्तव, आशीष सिंह ,दिव्यांश पाल ,शिवेंद्र दुबे, आकाश पाण्डेय, गोपेश पाल, अभय सिंह सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
भक्ति का भगवान से मिलन हैं श्री राम विवाह