संवाददाता (बस्ती)। देश में युवा उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद नौकरी के पीछे बेतहाशा दौड़ रहा है।वही तीन दशक पहले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एल0एल0बी0 करने वाले राम मूर्ति मिश्रा ने खेती को ही रोजगार बना लिया।फर्राटेदार इग्लिश स्पीकिंग सुनकर कोई भी इनका मुरीद हो जाय।खुद की मेहनत के बलबूते खेती को बेहतर बनाने के चाह ने राममूर्ति मिश्रा को जैविक खेती के लिये प्रेरित किया। 13 प्रकार के माइक्रोन्यूट्रियन्स , जीवामृत एवं दशपर्णी कीटनाशक , वर्मी कम्पोस्ट के साथ ही बेस्ट डी कम्पोजर को तैयार कर जैविक खेती को बेहतर बनाने के साथ ही अन्य किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं । जैविक खेती के प्रति उनकी ललक का ही परिणाम हैं कि वेस्ट डी कम्पोजर तैयार कर उससे खेती करने वाले जनपद के वह पहले किसान हैं।
सदर ब्लाक के गौरा गांव के रहने वाले राम मूर्ति मिश्रा पिछले दो दशक से खेती से जुडे हुए है। बताते है कि इलाहाबाद पढ़ाई के दौरान ही इनके पिता कि तबियत अचानक खराब हो जाने के कारण गांव आना पडा। एक बार गावं आये तो बस यही के होकर रह गये। खेती के बलबूते पर उन्होने अपने बेटे को एमबीए और बेटी को एमएसडब्लू तक शिक्षा दिलायी।
खेती मे कुछ अलग और बेहतर करने की चाह ने इन्हे नई तकनीकि एवं अन्य विधाओ को सीखने के लिए प्रेरित किया। तो उन्हाने जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाये जो आज उनके लिए एक अभियान बन गया है।वह खुद तो जैविक खेती कर ही रहे है साथ ही जैविक खेती के लिए नये किसानो को प्रेरित कर उनकी मदद भी कर रहे है।
जैविक खेती को बेहतर बनाने के लिए उन्होने अपने फार्म पर ही 13 माइक्रोन्यूट्रियन्स , जीवामृत एवं दशपर्णी कीटनाशक , वर्मी कम्पोस्ट के साथ ही बेस्ट डी कम्पोजर से जैविक खाद तैयार किया है। फसल को कीटो से बचाने के लिए उन्होने दशपर्णी का प्रयोग की बात करते हुए कहते है कि मदार, धतूरा ,सुर्ती, सहित अन्य सात तरह के पेड पौधो के पत्तो को उबालकर कीटनाशक तैयार किया है।
इन्ही कीटनाशको एवं जैविक खादो एवं उनके मेहनत के बलबूते उनके खेतो में इस समय गोभी, मूली, बैगन, धनिया की पूर्णतः जैविक फसल लहलहा रही है।
विभिन्न प्रकार के तरीको से उन्हाने 13 तरह के माइक्रोन्यूट्रियन्स भी तैयार किये है इन सूक्ष्म रसायनो को बनाने के लिए उन्होने गाय का गोबर एवं गोमूत्र के साथ ,नारियल, हवन की राख, गंधक खडिया मिट्टी आदि मिलाकर कर तैयार किया है। वर्मी कम्पोस्ट जैविक खेती के लिए सबसे बेहतरीन खाद बताते हुए वह कहते है कि इसे हर किसान को एक बार जरूर तैयार कर अपने खेतो मे प्रयोग करना चाहिए।
वही उन्होने गौमूत्र,गोबर,गुड दही,आदि को मिलाकर जीवामृत तैयार किया है वह इन जैविक रसायनो को उपयोग लाकर जहां खेती को नई दिशा दे रहे है। जैविक खेती के लिए उन्हाने लगभग 500 लीटर वेस्ट डी कम्पोजर बनाकर वह जहां उससे खेती कर रहे वही साथी किसानो को भी उसे मुफत मुहैया कराने के साथ ही जैविक खेती करने की बेहतर जानकारी भी दे रहे है।
वह कहते है कि खेती उनके लिए एक साधना है। युवाओ को खेती के लिए आगे आना होगा। शहरो में भी लेागो को चाहिए कि वह कम से कम अपने खाने के लिए छतो पर जैविक खेती करे।