-मिल की खटर पटर में ग़ुम हो रही बच्चों के वर्णमाला की आवाज
-गाँव गाँव पट रहें हैं मिल से निकलने वाले राख
-मिल के धुयें में नवनिहालो का सांस लेना मुहाल
-कुआंनों के पानी को जहरीला कर रहा हैं मिल का गंदा पानीसंवाददाता(बस्ती)। सरकार के द्वारा वायु, जल एवं ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए लाखों प्रयास किये जा रहे है,जिससे कि आने वाले दिनों में पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त हो सके। इसके लिए सरकार मिलों पर नियंत्रण, पालीथीन पर प्रतिबंध, पेडो की कटाई यहां तक कि पराली जलाने पर सेटेलाइट से निगरानी कर जुर्माना वसूल कर किसानो के उपर मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। वही दूसरी ओर जनपद में गनेशपुर-मूड़घाट रोड पर चल रही एक पेपर इन दिनों में भयावह रूप धारण कर जल,वायु ध्वनि प्रदूषण फैलाने में लगी है।
जबकि गनेशपुर-मूड़घाट रोड पर सरकारी गैर सरकारी स्कूल स्थापित हैं। ऐसे में पेपर मिल का वहां स्थापित किया जाना जिला उद्योग विभाग की लापरवाही के साथ ही प्रदूषण विभाग सहित अन्य जिम्मेदारों द्वारा मिली खुली छूट का खेल है। केन्द्रीय विद्यालय के खुले हानेे के बावजूद भी विद्यालय से सटे मिल का खुल जाना राहगीरों को नही बल्कि स्कूली बच्चों के लिए खतरा साबित हो रहा है। मिल से निकलने वाली धुआ छोटे-छोटे मासूम बच्चों को सीधे अपने चपेट में ले रहा है। जहां पर बच्चों को प्रदूषण से लड़ने का पाठ पढ़ाया जा रहा है। वही पर मिल के चपेट में आने बच्चों पर इसका कितना बुरा प्रभाव पड़ेगा यह मासूम बच्चो की समझ से तो परे है ,लेकिन जिम्मदारो ने भी इसे देखकर आंखे बन्द कर रखी है। इस पर न तो विद्यालय द्वारा कोई आवाज उठायी जा रही और न ही प्रशासन इस पर कोई कार्यवाही कर रही है। वही दूसरी तरफ मिल से निकल रही राख को विद्यालय के पास, सड़क के किनारे पाटे जा रहे है जिससे वहां से हर गुजरने वाले के आखों को अपने चपेट में ले रही जिससे आखों की बीमारियों से लागों को झेलना पड़ रहा है। मजे की बात यह है कि कुआनों में जहरीले पानी का मामला प्रकाश में आया था, जिससे काफी मछलियां मर गयी थी, फिर भी किसी पर कोई कार्यवाही नही हुयी थी। ऐसे में पेपर मिल से निकलने वाली दूषित पानी सीधे कुआनों में छोड़ा जा रहा है, जिस पर प्रभावशाली लोगों के हाथ होने की वजह से प्रशासन मिल पल पर कोई कड़ा कदम उठाने से परहेज करता रहा है साथ साथ गाहे बगाहे क्लीन चिट का आशीर्वाद भी देता रहा है। कुआनों में हजारों की संख्या में लोग रोज स्नान करते है और तो मुड़घाट पर दाह स्थल होने से कुआनों में स्नान करना पड़ता है।
ऐसे में नदी के पानी में मिल का गंदा जल मिले होने से लोग मजबूरी में विषैले पानी के चपेट में आ जाते हैं।यही नही जब मिल की मशीन चालू होती हैं तो इतनी तेज आवाज होती है जिससे पास के स्कूलों में बच्चों का ध्यान भंग हाने के साथ ही उनके कान एवं स्वास्थ्य पर बुरा असर पडता है। सर्दियो में हालात तो यह है कि रात मे लगातार कुहरा पडने के कारण सुबह तक पेडो से टपकने वाली ओस की बूंदें भी काली होकर राहगीरो के कपड़ो को काला कर देती है। फिलहाल जिम्मेदार इस ओर से आंख मूदे हुये हैं।